नजर-दोष (शैतानीं-आंख)
नजर दोष और उनके
उपाय
शैतान की आंख का प्रयोग अक्सर एक ऐसी बीमारी के लिये किया जाता है
जिसके अन्दर किसी भी दवा उपाय डाक्टर समझदार व्यक्ति समझने मे असमर्थ हो जाते है,,इस
के लिये जो दुर्भावना रखता है,जलन रखता है,और किसी प्रकार से आगे नही बढने देता है,आदि
कारणों से युक्त व्यक्ति से नजर लगना कहा जाता है,इसे नजर-दोष भी कहा जाता है,हर्ब्यू
के शब्दों में ’अयन हारा’ जिसके अन्दर यद्धिश लोग अयन-होरो,अयन होरा या अयन हारा भी
कहते है,इटली मे इसे ’मालओसियो’ और स्पेन मे ’माल ओजो’ या ’एल ओजो’ के नाम से जाना
जाता है,सिसली लोग ’जैट्टोर’ जिसका शाब्दिक अर्थ आंख के द्वारा प्रोजेक्सन करना,माना
जाता है,फ़ारसी लोग ’ब्लाबन्द’यानी शैतान की आंख कहते है। शैतान की आंख उस व्यक्ति के
लिये भी मानी जाती है जो किसी भी प्रकार से नुकसान पहुंचाने वाला या किसी भी प्रकार
से जलन या दुर्भावना नही रखता है उसके पास भी हो सकती है,और उसके द्वारा भी आपके बच्चे
को,आपको,आपके पास रखे किसी वस्तु विशेष के भन्डार को,आपके पास रखे फ़लों को,आपके फ़लवाले
वृक्षों को आपके दूध देने वाले पशुओं को,आपकी सुन्दरता को आपके व्यवसाय को,आपके प्राप्त
होने वाले धन के स्तोत्र को नुकसान पहुंचा सकती है। और यह सब केवल उस व्यक्ति के द्वारा
देखने और उसके द्वारा किसी भी प्रकार के लालच करने से हो सकता है। अक्सर इस प्रकार
का असर उन लोगों के द्वारा भी होता है जो ओवर-लुकिन्ग की मान्यता को रखते हैं। उनके
द्वारा उनकी आंखों से अधिकतम अनुमान लगाने किसी वस्तु,मकान,इन्सान आदि को आंखों से
ही नापने और उसकी क्षमता का अनुमान लगाने से भी प्रभाव पडता है,इस बीमारी को देने वाले
व्यक्ति अगर किसी प्रकार से खाना खाते वक्त पास में हों,तो उनके देखते ही हाथ का ग्रास
नीचे गिर जाता है,किसी मकान की सुन्दरता को वे अपनी नजर से परख लें तो मकान मे दरार
आना,या मकान का गिर जाना भी सम्भव होता है,अधिकतर असर छोटे बच्चों पर अधिक होता है।
नजर या शैतान की आंख को खराब ही माना जाता है,और यह जलन रखने वाले और सही किसी भी प्रकार
के व्यक्ति के पास हो सकती है। इसका कारण एक और माना जाता है कि जो बच्चे किसी प्रकार
से बचपन में अपना ही मल खा जाते है उनकी आंख भी शैतान की आंख का काम करती है।
विश्व प्रसिद्ध ओकल्ट-साइंस के विश्लेषक श्री अलन डुन्डेज की थ्योरी
के अनुसार शैतानी आंख यानी नजर का दोष विश्व के मध्य पूर्वी भागों में,इन्डोयूरेपियन
देशों में,अमेरिका,पेसफ़िक आइसलेंडों में एशिया में,सहारा सहित अफ़्रीका में,आस्ट्रेलिया
में माना जाता है कि शरीर में जीवन पानी के द्वारा है और शरीर का सूखापन मौत देने का
कारक है,जब कोई भी कारक शैतान की आंख के घेरे में आजाता है तो गीला भाग सूखने लगता
है,या उसका जो बहाव होता है,बहाव का मतलब पानी का संचालन,दूध का संचालन,धन का संचालन,बुद्धि
का संचालन,रुक जाता है,इस प्रकार का प्रभाव बच्चों के अन्दर,दूध देने वाले जानवरों
में,फ़लवाले वृक्षों में,जो मातायें बच्चों को दूध पिलाने वाली होतीं है,जो धन का संचालन
करने वाली संस्थायें होती है,जहां पर भन्डारण होता है,अथवा किसी व्यक्ति विशेष की शैक्षणिक
योग्यता होती है आदि में पडता है। दूसरे शब्दों में श्री अलन डुन्डेज के अनुसार हरी
भरी धरती को रेगिस्तान बनाने में यह शैतानी आंख अपना करिश्मा दिखा देती है।
अधिकांशत: संसार के प्रत्येक स्थान पर नजर दोष यानी शैतानी-आंख के
बारे में विश्वास किया जाता है,इसके प्रभाव के बारे में कहा जाता है कि साइड इफ़ेक्ट
के रूप में इसका प्रभाव जरूर पडता है,संसार में केवल उन्ही बातों की मान्यता है जो
वास्तव में उपस्थित हैं,अगर जरा भी सत्यता से परे कोई बात होती तो जनमानस कभी का इस
बात को ठुकरा देता। इसके बारे में दुर्घटना के बारे में महिलाओं को कहते सुना जा सकता
है -" मैने बच्चे को नई पोशाक से सजाया और बाजार में निकल गयी,एक स्त्री जो संतान-विहीन
थी उसने देखा और कहा-"वाह! कितना प्यारा बच्चा है",मैं घर आयी और बच्चे को
उल्टियां चालू हो गयीं। इस बात किसी भी प्रकार से ठुकराया नही जा सकता है कि शैतानी
आंख का करिश्मा नही था,उस बच्चे को वास्तव में नजर दोष लग गया था।
बाइबिल के २३:६ में साफ़ लिखा गया है कि हे शक्ति तुम भोजन करो,लेकिन
उनको मत पैदा करो जिनकी आंख शैतानी है,और न ही उस मांस को ग्रहण करो,जो शैतानी आंख
के द्वारा देखा गया है। इसके बाद बाइबिल में अन्यत्र ७:२१-२२ में भी संकेत दिया है
कि ईशा मसीह ने अपने सम्भाषण में कहा था कि हर चौथे आदमी की सोच के अन्दर तभी शैतानी
आंख की शक्ति पैदा होती है जब वह भौतिक रूप से क्राइम करने,और जिसके अन्दर ह्रदय कठोर
हो,शैतानी सोच को अपने ह्रदय मे रखता हो,स्त्री पुरुष को और पुरुष स्त्री को कामुक
निगाह से ही देखता हो,अपने को उच्च विचार वाला कहने के साथ ही पीछे से गलत सोचता हो,जो
मर्डर कर सकता हो,चोरी कर सकता हो,जिसे अपने कर्मों पर विश्वास न हो और वह बिना कर्म
किये ही खाने की सोचता हो,उस व्यक्ति की आंख शैतान की आंख होती है।
वास्तव में बहुत ही अधिक ध्यान रखने वाली बात है कि शैतानी-आंख यानी
नजर दोष से बच्चों को बचाने के लिये लाल रंग का धागा बच्चे के गले में होना जरूरी है,क्योंकि
प्रोफ़ेसर डुन्डेज की थ्योरी के अनुसार बच्चों के अन्दर सूखापन पैदा करने और बच्चे के
जीवन रक्षक तरलता को सोखने के लिये नजर दोष यानी शैतानी-आंख का बहुत बडी भूमिका बनती
है। उन्होने एक बहुत बडा तथ्य लिखा है कि शैतानीं आंख का शिकंजा मछलियों पर नहीं पडता
है,अगर घर के अन्दर मछलियां रखीं जावें,या बच्चों के नाम मछली के नामों से सम्बन्धित
रखे जावें,अथवा उनके गले में मछली को पकडने वाले कांटे का छल्ला बनाकर डाला जावे,अथवा
जल से सम्बन्धित कोई चीज बच्चे के पास रहे जैसे कौडी शंख से बनी वस्तु सीप से पिलाया
जाने वाला दूध,मोती आदि। इसके बाद इन वस्तुओं को जेविस लोग जब सूर्य मीन राशि में होता
तब पहिनना उत्तम मानते है,इसके अलावा वे जिन्हे नजर अधिक लगती है उन्हे मीन के ही सूर्य
के समय में एक छोटे से सिक्के पर जो चांदी का बना होता है,उस पर उस बच्चे या व्यक्ति
का नाम सिक्के के नीचे वाले हिस्से पर लिखवाकर भी पहिनाते हैं।
महिलाओं के अन्दर शैतानीं आंख बहुत अधिक प्रभावित होती है,इस बात
को जेविस लोग भी मानते है,उनका कहना है कि प्रत्येक सुन्दर महिला को अपनी सुन्दरता
बनाये रखने के लिये अपने शरीर को सफ़ेद या काले कपडे से छुपाकर रखना चाहिये,जो महिलायें
अपनी हठधर्मी से अपने शरीर का प्रदर्शन करतीं है उनके जीवन में कोई बडी सफ़लता नहीं
मिलती है,वे जीवन के किसी न किसी क्षेत्र से कट जातीं है,या तो उनके अन्दर चरित्रहीनता
आजाती है अथवा वे अपनी संतान को भटकता हुआ छोड कर अन्य पति के पास चलीं जातीं है,अथवा
उनका सुह्रदय बदल कर कठोरता में बदल जाता है और जीवन के सभी आयामों में वे केवल धन
की ही चाहत रखतीं है। जेविस लोगों ने गर्म प्रदेशों में रहने वाली महिलाओं के लिये
नियम बनाये थे कि वे अगर शरीर को खुला भी रखना चाहतीं है तो माथे पर लाल रंग की बिन्दी
या गले में लाल या काले रंग का धागा अवश्य डालकर रखा करें।
सिसली और दक्षिणी इटली के लोगों की मान्यता है कि कुछ लोग बिना किसी
कारण के ही दूसरों पर अपनी शैतानी आंख का प्रभाव डालते हैं। जो लोग बिना कारण के ही
दूसरों की प्रोग्रेस को देख कर जलते है,उनकी आंख के अन्दर एक प्रोजेक्सन क्षमता का
विकास अपने आप हो जाता है,ऐसे लोगों को उनकी भाषा में जेट्टोरस या ओसियो कहा जाता है,पहिचान
में कहा जाता है कि ऐसे लोगों की प्रक्रुति हमेशा नकारात्मक सोचने की होती है,जैसे
- "तुम्हारे पास तो सब कुछ है,मेरे पास कुछ भी नही है",अथवा "तुम्हारा
पति तो तुम्हे बहुत प्यार करता है,हमारा नहीं",अथवा "तुम्हारे जैसा मैं भी
कभी धनवान था,लेकिन भगवान ने सब कुछ ले लिया",अथवा "तुम्हारा ज्ञान तो बहुत
बडा है,मेरे पास है ही नहीं",कई लोगों को जो इस तरह का जो नजर दोष देते है उनकी
भाव भंगिमा बिलकुल थके हुये व्यक्ति जैसी होती है,और इस प्रकार के लोगों को घर आने
पर पहले पानी जरूर पिलाना चाहिये।
संसार के मध्यवर्ती भागों में विशेषत: ग्रीस और टर्की में जो लोग
नीली आंखों वाले अथवा कंजे होते है,उन्हे नजर देने वाले दोष से युक्त कहा जाता है।
कुछ देशों में अगर समझ लिया जाता है कि उनके बच्चे को या फ़ल वाले वृक्ष को अथवा दूध
देने वाले जानवर को अथवा व्यवसाय स्थान को नजर लगी है तो झाडा लगाने वाले के पास जाते
हैं,और उससे झाडा लगवाते है,सबसे पहले झाडा लगाने वाला व्यक्ति उस नजर से ग्रसित व्यक्ति
अथवा वस्तु के आसपास थूंकता है,फ़िर उस कारक को छूकर ध्यानावस्था मे जाकर कहता है
"नजर दोष दूर हो",अगर झाडा लगाने वाला नजर को नही उतार पाता है तो कारक से
सम्बन्धित व्यक्ति अन्य उपाय करता है,और जो भी उसके जानकार होते है उनसे कहता रहता
है।
किसी पब्लिक प्लेस पर बच्चे को ले जाते समय लोग बच्चों के माथे पर
किसी न किसी प्रकार का टीका राख या धूल अथवा काजल का लगा देते है,जिससे बच्चे की सुरक्षा
शैतानी आंख वाले से बनी रहती है। अगर कोई बच्चे को कह देता है कि "कितना सुन्दर
बच्चा है",तो फ़ौरन उस बच्चे की मां कहती है "कहाँ सुन्दर है कितना गन्दा
बच्चा है",इसके साथ ही ग्रीस में नजर से ग्रसित कारक को पत्थर से उतारा भी किया
जाता है,एक पत्थर को ग्रसित व्यक्ति या वस्तु से उतारा करने के बाद उसे खुले आसमान
के नीचे फ़ेंक देते है,वहाँ भी यही पहिचार होती है कि अगर नजर दोष से कोई कारक ग्रसित
है तो बच्चे को उल्टी दस्त होने लगते है,व्यवसाय में अक्समात कमी आजाती है,दूध देने
वाले जानवर के स्तनों में खून आने लगता है अथवा वह दूध देना अक्समात बन्द कर देता है,विद्यार्थी
का दिमाग अक्समात शिक्षा से दूर भागने लगता है। इटली मे नजर से ग्रसित व्यक्ति बच्चा
दूध पिलाने वाली माँ फ़ल वाले वृक्ष दूध देने वाले जानवर जनता के अन्दर चलने वाली दुकाने
अगर किसी व्यक्ति से ग्रसित मालुम पडती हैं,तो उस व्यक्ति की पहिचान के लिये लोग एक
दूसरे को एक तरह के इशारे से सावधान करते है,इस इशारे को "मानिफ़िको" करते
है,जिसमे दाहिने हाथ की बीच की और अनामिका उंगली को मोड कर अंगूठे से दबाकर तर्जनी
और कनिष्ठा को खडा करने के बाद उसे सींग वाले जानवर की शक्ल दी जाती है,इस प्रकार के
इशारे से जानकार या अन्य लोग समझजाते है कि उनके आसपास कोई नजर देने वाला व्यक्ति है।
जैविस लोग जब समझ जाते है कि उनके किसी कारक को नजर दोष लगा है तो
वे उस कारक के पास तीन बार थूकते है,और तीन बार ही "पेह पेह पेह" कहते है,नमक
को उतारा करने के बाद घर के बाहर फ़ेंकते हैं,और अपनी भाषा में कहते हैं - "केइन
अयन हारा" (शैतानी आंख नहीं),और दूसरा तरीका वे प्रयोग करते है जब उनको लगता है
उनका नजर दोष दूर नही हुआ है तो वे सीधे हाथ का अंगूठा उल्टे हाथ में और उल्टे हाथ
का अंगूठा सीधे हाथ में उंगलियों से दबाकर ईश्वर से प्रार्थना करते है कि उनका कारक
नजर दोष से दूर हो जाये।
ईरान अफ़गानिस्तान पाकिस्तान भारत ताजिकिस्तान में मुस्लिम लोग अपने
बच्चे को नजर दोष से ग्रसित होने पर गूगल का धुंआ देते हैं,इसके साथ ही तारामीरा के
बीजों को ग्रसित व्यक्ति अथवा कारक के ऊपर उसारा करने के बाद जला देते हैं,उनका विश्वास
है कि गूगल या तारामीरा के धुंये से नजरदोष दूर हो जाता है। भारत के अन्दर नीम के पत्तों
से झाडा भी दिया जाता है,फ़कीर लोग मोर पंख से व्यक्ति के अन्दर झाडा देते वक्त एन्टीस्टेटिक
इनर्जी का प्रयोग करते है जिससे यह दोष दूर हो जाता है। इन देशों में बच्चे की नजर
के लिये पहिचान की जाती है कि बच्चे को नजर दोष लगा है तो सबसे पहले उसके मुंह से लार
बहनी शुरु हो जाती है,अथवा वह आंखें बन्द कर लेता है और मुंह से फ़ैन आना चालू हो जाता
है फ़िर बच्चे को दस्त लगने शुरु हो जाते है,और डायरिया जैसी बीमारी होने के बाद बच्चा
लगातार कमजोर होने लगता है,पढे लिखे लोग जो इन बातों पर विश्वास नहीं करते है पहले
किसी डाक्टर के पास ले जाते हैं,फ़िर जब कोई दवा काम नही करती है तो उनको समझ में आता
है कि बच्चा नजर दोष से ग्रसित है।
शैतानी-आंख से ग्रसित कारकों में पहिचान करने के बाद झाडा-फ़ूंकी
जो विभिन्न स्थानों देशों में विभिन्न प्रकार से की जाती है,पानी तेल और मसले हुये
मोम का तरल पदार्थ आदि प्रयोग किये जाते है,उसके अलावा प्राकृतिक कारक जिनके अन्दर
प्रकृति के द्वारा तरल पदार्थ भरा होता है जैसे अंडा आदि को उतारा करने के बाद विभिन्न
स्थानों में रखते हैं,इस तरह के काम एक नाटकीय काम करते है और नजर दोष से ग्रसित कारक
ठीक हो जाता है। पूर्वी यूरोप में पानी की परात में जलता हुआ कोयला अथवा माचिस की तीली
को नजर से ग्रसित कारक के सामने डालते है,अगर वह वास्तव में ग्रसित है तो पानी के अन्दर
जलता हुआ कोयला अथवा माचिस की तीली डालते हुये वह भभक उठता है,तो समझ लिया जाता है
कि कारक नजर दोष से पीडित है।
यूक्रेन में मसला हुआ मोम पवित्र पानी के कटोरे में डाला जाता है,अगर
कारक नजर दोष से पीडित है तो वह मोम धीरे धीरे कटोरे के किनारों पर जाकर चिपक जाता
है,एक गुप्त प्रार्थना जो महिलाओं को ज्ञात होती है,वे करतीं है और उस पानी के द्वारा
कारक को नहलाते है अथवा छिडकते है,अगर कारक नजर दोष से दूर हो जाता है तो वह मोम पवित्र
पानी के ऊपर तैरता है और कारक नजर दोष से दूर नही है तो मोम पानी के अन्दर कटोरे की
तली में बैठ जाता है। ग्रीस और मैक्सिको तथा अन्य देशों में पवित्र पानी कारक के ऊपर
छिडका जाता है या व्यक्ति विशेष को पिलाया जाता है,इसके अलावा व्यक्ति अथवा स्थान पर
पानी से क्रास बनाया जाता है। इटली में बहते हुये पानी में नजर दोष के लिये एक प्रयोग
और किया जाता है जिसमें आलिव आयल को बहते पानी मे नजर दोष से पीडित व्यक्ति या बच्चे
के सामने बूंद बूंद करके टपकाया जाता है,अगर वह तेल पानी के अन्दर एक साथ मिलकर चलता
है तो समझा जाता है कि व्यक्ति या बच्चा नजर दोष से ग्रसित है और अगर अलग अलग बहता
है तो समझ लिया जाता है कि नजर दोष दूर हो चुका है। मैक्सिको में एक कच्चे अंडे को
बच्चे के ऊपर रोल करने के बाद उसके सोने वाले स्थान के नीचे रख दिया जाता है,और सुबह
को उसे तोडा जाता है अगर वह कठोर हो गया है तो समझा जाता है कि बच्चा नजर दोष से पीडित
है। इसी तरह से अंडे को पीडित स्थान या व्यक्ति के ऊपर से उसारा करने के बाद एक स्थान
पर रख दिया जाता है अगर बारह घंटे बाद उस अंडे पर एक मटमैली से परत बनती है तो किसी
पुरुष के द्वारा नजर दोष दिया गया है और अगर उस अंडे पर एक आंख का निशान बनता है तो
नजर दोष स्त्री के द्वारा दिया गया है। इसी प्रकार का एक प्रयोग मैक्सिको में किया
जाता है कि दो अंडों को एक साथ मगाया जाता है,ग्रसित कारक या वस्तु के ऊपर एक अंडे
को उतारा जाता है,और उसे फ़ोड कर एक प्याले में रखकर उस अंडे के तरल पदार्थ से व्यक्ति
या बच्चे के माथे पर व्यवसायिक स्थान के धन रखने वाले स्थान पर क्रास का निशान बनाया
जाता है,दूसरे अंडे को उस स्थान पर या व्यक्ति अथवा बच्चे पर उतारा करने के बाद एक
एकान्त जगह पर रख दिया जाता है,बारह घंटे के बाद उस दूसरे वाले अंडे को तोडा जाता है
तो वह उबले हुये अंडे की तरह से निकलता है,उसे शाम को किसी बेकार के स्थान पर फ़ेंक
दिया जाता है।
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---------------------- ॐ जय श्री राधा कृष्णाय नमः।
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