श्री शनिदेवजी की आरती
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकरी,
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी ||
श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी,
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी ||
क्रीट मुकुट शीश सहज दिपत है लिलारी,
मुक्त्तन की माल गले शोभित बलिहारी ||
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी,
लोहा तिल तेल उडद महिषि अति प्यारी,
देव दनुज ऋषि मुनि सुरत नर नारी,
विश्व्नाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी ||
-------------------------------------------------- ॐ जय श्री राधा कृष्णाय नमः। ---------------------------------------------
No comments:
Post a Comment